Pages

Saturday, September 7, 2013

Annapoorna Ashtakam

Sri Annapurna Ashtakam is a devotional prayer addressed to Goddess Annapoorneshwari, the queen mother of Varanasi. Chanting or singing Sri Annapurna Ashtakam will help one to achieve all ambitions.

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी
निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी 
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१॥

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी
मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी 
काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥२॥



योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मैकनिष्टाकरी   
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी 
सर्वैश्वर्यकरि तपःफलकरी   काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥३॥


कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी 
मोक्षद्वारपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥४॥



दृश्यादृश्यविभूतिपावनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी
लीलानाटकसूत्रकेलनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी 
श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ५॥


आदिक्षान्तसमस्तवर्णनिकरी शम्भोप्रियशङ्कारि 
काश्मीरात्रिपुरेश्वरी त्रिनयनि विश्वेश्वरि  शर्वरी 
स्वर्गद्वारकवाठपाठनकरी   काशिपुरादेश्वरि 
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी 


उर्वीसर्वजनेश्वरी  जयकरी माताकृपासागरी  
नारीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी ।
सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी॥॥

देवी सर्वविचित्ररत्नरुचिरा  दाक्षायणी सुन्दरी
वामा  स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी 
भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥८॥



चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशी  चन्द्रांशुबिम्बाधरी
चन्द्रार्काग्निसमानकुन्तलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी 
मालापुस्तकपाशासाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥९॥



क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी
सर्वानन्दकरी  सदा शिवकरी विश्वेश्वरीश्रीधरी 
दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१०॥



अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे 
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि  पार्वति ॥११॥


 
माता  पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः 
बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥१२॥

 

 

Youtube  Link :
 




                                                        


No comments :

Post a Comment